कुछ यूं लिखूं

इक कलम था इक थी दुआ
और शब्द थे कुछ पुष्प से
बांधा उन्हें फिर सोच कर
तो बन गयी आराधना
हे हंसवाहिनी अर्पण तुझे
इस भक्त की ये साधना
करलो इसे स्वीकार
और देदो मुझे कुछ ज्ञान अब
कि लिख सकूं इस देश पर
इस देश की सच्चाई पर
बस दे मुझे कुछ ताकतें
मेरी कलम और मेरी सोच में
लिख दूं नयी इक दास्तान
बदले जो हर इक सोच को
पढ़ कर जिसे बस सब कहें
क़ी अमल कर बस अमल कर

मन में तो है कुछ यूं लिखूं
इश्वर लिखूं
अल्लाह लिखूं
गोविन्द लिखूं
जीसस लिखूं
हर शख्श की पहचान हो
तोडूँ सभी ये सरहदें
हम एक थे और एक हैं
बाटों न अब जज़्बात से
जब रूह सबकी एक है
जागो सभी उठ कर चलो
मिल कर चलो बढ़ते चलो
न कोई दुश्मन उठ सके
जो सरहदें पैदा करे

आओ तो ये सौगंध लें
समझेंगे ताकत कलम की
फिर मिलके सब ऐसा लिखें
कि लब हिलें तो बस कहें
कि अमल कर बस अमल कर
बस अमल कर बस अमल कर.......

(कौशल किशोर) कनपुर

Comments

  1. कलम की ताकत बहुत बड़ी ताकत है हम सभी इस बात से वाकिफ हैं.....इक वाकया बचपन में सुना था की एक बार विवेकानंद जी ने कोई निबंध लेखन में हिस्सा लिया और केवल एक पंक्ति में ही निबंध समाप्त कर दिया और पहला पुरूस्कार भी मिला तो उस एक लाइन में क्या लिख दिया होगा.... ये सोंचने वाली बात है.
    कलम की ताकत को कुछ अपने तरीके से लिखने की कोशिश की है.... और आप सभी के कमेंट्स के लिए तैयार हूँ.

    ReplyDelete
  2. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

    ReplyDelete
  3. आपको लोहड़ी हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    ----------------------------
    कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. एक अच्छे भाव की सफल प्रस्तुति - सुन्दर
    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

    ReplyDelete
  5. कलम की ताकत को कहती अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  6. kalam men vo taqat hai jo talwaar men nahi .
    bahut khubsurat bhaav .

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

चुप हूँ पर

जोश

ग़मों की काली छाया