तमाशाबीन तो नहीं
आये दिन हम न्यूज़पपेर्स में छेड़छाड़ क किस्से पढ़ते रहते हैं शायद हम सभी को शर्मिंदगी होती है और डरते हैं कि कहीं.... मैंने इस बारे में कुछ लोगों से बात की और कुछ पंक्तियाँ तैयार की जो आप से बांटना चाहता हूँ.
मत देख ऐसे मैं तमाशाबीन तो नहीं
खुबसूरत हूँ पर घूरने की चीज़ तो नहीं
घर से निकलते ही डर लगता है
पर किस किस से डरूं ये मालूम ही नहीं
मिला जो खुदा तो पूंछना ये है
कि खूबसूरती सबकी एक सी क्यूँ नहीं
जब दिल भी सबका एक सा
तो रंग रूप और सोच एक सी क्यों नहीं
तालीम दी रोशन किया
पर इनको नफ्स पे काबू क्यूँ नहीं
पहचान खो न जाये
ये सोच के घर से निकलना है
सारी बंदिशें तोड़ के आंगे बढ़ना है
तू कर या न कर
पर इस सोंच को बदलना है
कि हम तमाशबीन ही नहीं.
मत देख ऐसे मैं तमाशाबीन तो नहीं
खुबसूरत हूँ पर घूरने की चीज़ तो नहीं
घर से निकलते ही डर लगता है
पर किस किस से डरूं ये मालूम ही नहीं
मिला जो खुदा तो पूंछना ये है
कि खूबसूरती सबकी एक सी क्यूँ नहीं
जब दिल भी सबका एक सा
तो रंग रूप और सोच एक सी क्यों नहीं
तालीम दी रोशन किया
पर इनको नफ्स पे काबू क्यूँ नहीं
पहचान खो न जाये
ये सोच के घर से निकलना है
सारी बंदिशें तोड़ के आंगे बढ़ना है
तू कर या न कर
पर इस सोंच को बदलना है
कि हम तमाशबीन ही नहीं.
intresting ....http://mhare-anubhav.blogspot.com/
ReplyDeleteKhoob .... Sunder panktiyan
ReplyDeletebadhiya wa manmohak prastuti
ReplyDeleteachcha likha hai...nice
ReplyDeletekhubsurat hone par bhi dar lagata hai..
ReplyDeletenayi si bat lagi apki is rachana me