अन्जान राह पे चलते चलते थक गये हैं अब कदम हो गयी है इन्तहां दुखने लगे हैं अब जखम करता रहा ज़ो जी हुजूरी और गिराहर बार हूँ हिम्मत तो देखो इक बार फिर लड़ने को मै तैयार हूँ
लड़ने को तैयार होना आपके जोश और उत्साह को दर्शाता है ....और जीवन का मूल मन्त्र भी यही है कि किसी भी परिस्थिति में अपने उत्साह को कम न होने दिया जाए .........!
चुप हूँ पर मेरी चुप्पी को ख़ामोश न समझो मै तो इशारों से ही तुझे राख़ बना सकता हूँ ख़ुशनसीब है तू जो नाखुदा हमारा एक है कश्ती तो मैं तूफाँ में भी चला सकता हूँ . शुक्र कर ख़ुदा का जो हम साथ हैं इस राह पर तेरे ग़ुरूर को हर राह पे झुका सकता हूँ इंसान है इंसानियत को कुछ तो इज्ज़त दे तेरी हैवानियत को हर लफ्ज़ से मिटा सकता हूँ
जो तुमने दास्ताँ अपनी सुनाई आँख भर आई बहुत देखे थे दुःख मैंने मगर क्यूं आँख भर आई ग़मों से दुश्मनी लगती है बिलकुल दोस्ती जैसी खुदा भी जल गया हमसे कि जब ये दोस्ती देखी खराशें दिल में हैं तो फिर मुझे नश्तर से क्या डर है डराना है अगर मुझको तो फिर कुछ और गम देदो सुकूँ मुझको नहीं मिलता है इस बेपाख़ दुनिया में तमन्ना अब तो इतनी है कि फिर से जनम देदो जहाँ खुशियाँ ही खुशियाँ हों और खुशियाँ ही खुशियाँ हों ग़मों की काली छाया से न कोई इल्म मेरा हो
लड़ने को तैयार होना आपके जोश और उत्साह को दर्शाता है ....और जीवन का मूल मन्त्र भी यही है कि किसी भी परिस्थिति में अपने उत्साह को कम न होने दिया जाए .........!
ReplyDeleteअपने इस उत्साह और हौसले को हमेशा कायम रखिये
ReplyDeleteबेहतरीन रचना है...
नई हिम्मत ,नए हौंसले ...ये ही तो जिंदगी है ...जो किसी के लिए नहीं रूकती
ReplyDeleteजो हिम्मत रखते हैं ,उनकी मदद खुदा करते हैं..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
आपका प्रयास सराहनीय है ! बधाई !
ReplyDeleteआप कविता के बुनघत पर ध्यान दें !
यह जोश बना रहे ... भावों का अच्छा प्रस्तुतीकरण
ReplyDeleteसुन्दर भाव!
ReplyDeleteबहुत खूब ,
ReplyDeleteप्रभावशाली अभिव्यक्ति !
शुभकामनायें आपको ..
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
जोशीले भाव.. बहुत सुन्दर.. मेरे ब्लांमें आने के लिए आभार...
ReplyDeleteसुंदर प्रभाव छोडती रचना....!
ReplyDeletevery impressive....nice poetry :)
ReplyDeletegirna aur fir uthna... yahi to jeevan hai:)
ReplyDeleteBahut Sunder....
ReplyDeletewaah ! kYA BAAT HAI....AAKHIR ...HIMMATE MARDA..MARDE KHUDA.
ReplyDeletehimmat n ho to duniya kitna jeene deti hai..
ReplyDeletesundar sakratmak sandesh deti rachna..
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति new post...वाह रे मंहगाई...
ReplyDeleteवाह ! , क्या बात है कौशल जी....सुन्दर ....हिम्मते मर्द, मददे खुदा....
ReplyDelete--अन्जान का सही ...अनजान है ...
---जखम = ज़ख्म
हौसला कांयम रखे,मंजिल जरूर मिलेगी,...बेहतरीन पोस्ट
ReplyDeleteफालोवर बन गया हूँ आप भी बने खुशी होगी,..
WELCOME TO MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
good lines.
ReplyDeleteNice post, things explained in details. Thank You.
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